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भारत ने हटाया कश्मीर से अनुच्छेद 370, बौखलाए पाकिस्तान की धमकी, 'सभी विकल्पों का करेंगे इस्तेमाल

  • Writer: RAJENDRA DANGWAL
    RAJENDRA DANGWAL
  • Aug 5, 2019
  • 4 min read

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ने कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीनकर अवैध कदम उठाया है। पाकिस्तान ने कहा कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद वह सभी संभावित विकल्पों का इस्तेमाल करेगा।


पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ने कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीनकर अवैध कदम उठाया है। पाकिस्तान ने कहा कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद वह सभी संभावित विकल्पों का इस्तेमाल करेगा।

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटते ही पाकिस्तान में भी हलचल तेज हो गई है। भारत सरकार के इस बड़े कदम से बौखलाए पाकिस्तान ने सभी संभावित विकल्पों के इस्तेमाल की धमकी दी है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ने कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीनकर अवैध कदम उठाया है। पाकिस्तान ने कहा कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद वह सभी संभावित विकल्पों का इस्तेमाल करेगा।


अनुच्छेद 370 पर पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कश्मीर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि भी की है। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर भारत ने बहुत खतरनाक खेल खेला है। इससे समूचे इलाके पर घातक असर हो सकता है। उन्होंने आगे कहा कि पाक पीएम इमरान खान पूरे मसले को समाधान की ओर ले जाना चाहते थे लेकिन भारत ने अपने फैसले से मामले को और जटिल बना दिया है। कश्मीरियों को पहले से ज्यादा कैद कर दिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि सभी मुसलमान मिलकर कश्मीरियों की सलामती की दुआ करें। पाकिस्तान पूरी तरह के कश्मीर के लोगों के साथ है।

पाकिस्तान का शेयर बाजार धड़ाम भारत सरकार के इस फैसले से पाकिस्तानी शेयर बाजार को भी करारा झटका लगा है। पाकिस्तानी शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई है और इमरान ने पाकिस्तान संसदीय समिति की बैठक बुलाई है। सोमवार को पाकिस्तानी शेयर बाजार का प्रमुख बेंचमार्क इंडेक्स केएसई-100 करीब 600 अंक लुढ़क कर 31 हजार 100 के स्तर पर आ गया।

घाटी में कम होती आतंकी गतिविधियों से बौखलाया पाकिस्तान इससे पहले भारत सरकार द्वारा कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती के बाद इमरान खान ने रविवार को एनएसए के साथ बैठक की थी। इस बैठक में पाकिस्तान ने भारत पर आरोप लगाया था कि नियंत्रण रेखा पर भारतीय सैनिक आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं। पुलवामा हमले के जवाब में भारत द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक के बाद से घाटी में आतंकियों के हौसले पस्त हैं। इधर सुरक्षा बल भी अपने ऑपरेशन में कश्मीर से आतंकियों का सफाया कर रहे हैं। सैन्य अधिकारियों के अनुसार, कश्मीर में आतंकी घुसपैठ की कोशिशें भी नाकाम हुई हैं और अलगाववादियों के ठिकानों पर लगातार छापे मारे जा रहे हैं जिससे पाकिस्तान की बौखलाहट बढ़ी है।

सीमा पार आतंकवाद के खतरे को देखते हुए लिया फैसला- अमित शाह इससे पहले पिछले हफ्ते कश्मीर में अतिरिक्त अर्धसैन्य जवानों की तैनाती के बाद यह चर्चा भी चली थी कि 15 अगस्त या इससे पहले कश्मीर में किसी बड़ी आतंकी घटना साजिश को नाकाम करने के लिए जवानों को घाटी रवाना किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 के खंड 1 को छोड़कर सभी खंड रद्द करने की सिफारिश की थी। शाह ने बताया कि राष्ट्रपति धारा 370 को खत्म करने वाले राजपत्र पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। बिल पेश करते हुए अमित शाह ने कहा था कि यह कदम सीमा पार आतंकवाद के लगातार खतरे को देखते हुए उठाया गया है।

8000 और अतिरिक्त जवान भेजे गए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के केंद्र सरकार के फैसले के साथ ही 8 हजार अतिरिक्त बलों घाटी रवाना हो रहे हैं। यूपी, ओडिशा, असम समेत देश के अलग-अलग हिस्सों से इन अर्धसैन्य बलों को एयरलिफ्ट करके सी-17 विमान से कश्मीर भेजा जा रहा है। इससे पहले पिछले हफ्ते 10 हजार और फिर 28 हजार अर्धसैन्य बलों की टुकड़ी घाटी में तैनात की गई थी। इसी के साथ अब कश्मीर घाटी में 46 हजार अतिरिक्त अर्धसैन्य बलों की तैनाती हो गई है।

क्या है अनुच्छेद 370 भारत 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों से आजाद तो हो गया, लेकिन इसका बंटवारा भी हो गया। भारत से निकलकर पाकिस्तान एक अलग देश बना। तब रियासतों को भारत या पाकिस्तान में विलय करने या फिर स्वतंत्र रहने का अधिकार प्राप्त था। कुछ रियासतों को छोड़कर बाकी सभी ने खुशी-खुशी भारत में विलय के प्रस्ताव पर दस्तखत कर दिए। जम्मू-कश्मीर के शासक महाराजा हरि सिंह ने स्वतंत्र रहने का निर्णय किया, लेकिन 20 अक्टूबर, 1947 को पाकिस्तानी सेना के समर्थन से कबायलियों की 'आजाद कश्मीर सेना' ने कश्मीर पर हमला कर दिया। महाराजा ने हालात बिगड़ते देख भारत से मदद मांगी।

तब तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने हरि सिंह के सामने अपने राज्य को भारत में मिलाने की शर्त रखी। भारत की मदद पाने के लिए हरि सिंह ने 26 अक्टूबर, 1947 को 'इंस्ट्रूमेंट्स ऑफ ऐक्सेशन ऑफ जम्मू ऐंड कश्मीर टु इंडिया' पर दस्तखत कर दिया। गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन ने अगले दिन 27 अक्टूबर, 1947 को इसे स्वीकार कर लिया। इसके साथ ही, जम्मू-कश्मीर का भारत में विधिवत विलय हो गया। 'इंस्ट्रूमेंट्स ऑफ ऐक्सेशन ऑफ जम्मू ऐंड कश्मीर टु इंडिया' की शर्तों में यह शामिल था कि सिर्फ रक्षा, विदेश और संचार मामलों पर बने भारतीय कानून ही जम्मू-कश्मीर में लागू होंगे।


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